उसने धीरे से हटा दिया
माथे से सूरज को
होठों से चाँद को
नक्षत्रों की पायल उतार कर
वह चल पड़ी--
प्रकाश के नाम पर
अब केवल अग्नि थी
सर्वांग व्याप्त
और भुवन को मण्डलाकार
समाविष्ट करता एक शब्द
'बलिदान'।
उसने धीरे से हटा दिया
माथे से सूरज को
होठों से चाँद को
नक्षत्रों की पायल उतार कर
वह चल पड़ी--
प्रकाश के नाम पर
अब केवल अग्नि थी
सर्वांग व्याप्त
और भुवन को मण्डलाकार
समाविष्ट करता एक शब्द
'बलिदान'।