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वह जाएगा ज़रूर एक दिनर / लीलाधर मंडलोई

उसकी आँखों में एक सपना था
पत्नी के हाथों में हाथ लिए
रिमझिम फुहारों में घूमने का

उसने सोचा वह जरूर जाएगा
उतरते बादलों के बीच ‘माण्डव’

घरेलू दिक्कतों में सपना रहा
एकदम सपना और
पार करता गया समय वह

दो बच्चों के बाद भी साध है कि
वह ले जाएगा अपनी पत्नी को एक दिन
और हाथों के स्पर्शों में डूबा
घूमेगा वैसे ही जैसा सोचा था सपने में

कितनी देर हो चुकी होगी तब जानता है
वह लेकिन जाएगा जरूर एक दिन