भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह जो बीता-2 / सुधीर मोता
Kavita Kosh से
मैं उसको कह दूंगा
जाने को
न संग किसी के
किया ऎसा
रोका न किसी को
संग आने को
पर जब वह
संग ही न आया
क्या उसको अधिकार
मन में मेरे
उछलकूद और
तहस-नहस मेरा
एकाकीपन
कर जाने को।