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वह जो मेरा है / लाल्टू
Kavita Kosh से
वह जो मेरा है
मेरे पास होकर भी मुझ से बहुत दूर है।
पास आने के मेरे उसके ख़याल
आश्चर्य का छायाचित्र बन दीवार पर टँगे हैं,
द्विआयामी अस्तित्व में हम अवाक देखते हैं
हमारे बीच की ऊँची दीवार।
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम
अनजान लकीर के इस पार,उस पार
उंगलियाँ छूती हैं
स्पर्श पौधा बन पुकारता है
स्पर्श ही अल्लाह, स्पर्श ही ईश्वर।