वह नदी किनारे बैठ गाती थी सदा / क्रिस्टीना रोजेटी
गुनगुनाती नदी की संगिनी बन
वह नदी किनारे बैठ गाती थी सदा,
ताकती थी मुस्कराती धूप में
मछलियों के खेल और अठखेलियाँ ,
मैं बैठती थी हमेशा अपना विलाप लिए,
चाँद की यंत्रणा भरी गोद में,
देखती थी बसन्त की आहटों को,
नदी में बहती हुई सुबकती पत्तियों को,
मैं यादों के लिए गुज़रती थी आँसुओं के सफ़र से,
वह अपने गीतों में जलाती थी, उम्मीद के दिए,
मेरे आँसू कहीं खो गए समन्दर में जाकर,
और उसके गीतों को ले गयी हवा बहाकर।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोनाली मिश्र
और अब पढ़िए कविता मूल अँग्रेज़ी में
She sat and sang alway
By the green margin of a stream,
Watching the fishes leap and play
Beneath the glad sunbeam.
I sat and wept alway
Beneath the moon's most shadowy beam,
Watching the blossoms of the May
Weep leaves into the stream.
I wept for memory;
She sang for hope that is so fair:
My tears were swallowed by the sea;
Her songs died on the air.