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वह बुलडोज़र आता है / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
हाथी जैसा भारी भरकम,
जिसका बदन डराता है।
देख सामने धीरे धीरे,
वह बुलडोज़र आता है।
खडंग-खडंग का भारी स्वर है।
इस स्वर में भी भर भर है।
रुक-रुक कर गुर्राता है।
वह बुलडोज़र आता है।
वह ऊँचा टीला खोदेगा।
सब-सब की मिट्टी ढो देगा।
श्रम का समय बचाता है।
वह बुलडोज़र आता है।
बुलडोज़र क्यों आया भाई?
बात गई सबको समझाई।
जल्दी सडक बनाता है।
वह बुलडोज़र आता है।
पीछे चलता कुनबा पूरा।
गिट्टी डामर का है चूरा।
रोलर उसे दबाता है।
वह बुलडोज़र आता है।
सड़क बनेगी चमचम काली।
नागिन-सी लहराने वाली।
हर वाहन फर्राता है।
वह बुलडोज़र आता है।