वह शान्त है और मैं भी / महमूद दरवेश
वह शान्त है, और मैं भी
वह नींबू वाली चाय पी रहा है,
और मैं कॉफ़ी पी रहा हूँ,
यही फ़र्क है हम दोनों के बीच ।
उसने पहन रखी है, जैसे मैंने, धारीदार बैगी शर्ट
और मैं पढ़ रहा हूँ, जैसे कि वह, शाम का अखबार ।
वह मुझे नज़र चुरा कर देखते नहीं देखता
मैं उसे नज़र चुरा कर देखते नहीं देखता,
वह शान्त है, और मैं भी ।
वह वेटर से कुछ माँगता है,
मैं वेटर से कुछ माँगता हूँ...
एक काली बिल्ली हमारे बीच से गुजरती है,
मैं उसके रोयें सहलाता हूँ
और वह उसके रोयें सहलाता है....
मैं उसे नहीं कहता : आज आसमान साफ़ था
और अधिक नीला
वह मुझसे नहीं कहता : आसमान आज साफ़ था ।
वह दृश्य है और द्रष्टा
मैं दृश्य हूँ और द्रष्टा
मैं अपना बायाँ पैर हिलाता हूँ
वह अपना दायाँ पैर हिलाता है
मैं एक गीत की धुन गुनगुनाता हूँ
वह उसी धुन का कोई गीत गुनगुनाता है ।
मैं सोचता हूँ : क्या वह आईना है जिसमें मैं ख़ुद को देखता हूँ ?
तब मैं उसकी आँखों की ओर देखता हूँ,
लेकिन मैं उसे नहीं देखता...
मैं कैफ़े से निकल आता हूँ तेज़ी से .
मैं सोचता हूँ, हो न हो वह एक हत्यारा है, या शायद
वह एक राहगीर है जो सोचता हो कि मैं हत्यारा हूँ
वह डरा हुआ है, और मैं भी !
………………………………………………………………………
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ