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वह सखि! नूतन जलधर अंग यह सखि! / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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वह सखि ! नूतन जलधर अंग। यह सखि ! सुस्थिर बिजलि-तरंग॥
वह सखि ! मरकत मणि अभिराम। यह सखि ! निर्मल हेम ललाम॥
वह सखि ! तरुवर तरुण तमाल। यह सखि ! लतिका कनक रसाल॥
वह सखि ! मधुकर रसिक उदार। यह सखि ! पद्मिनि रस-भण्डार॥
वह सखि ! बिधुवर विभा-विभोर। यह सखि ! अपलक नयन-चकोर॥
वह सखि ! प्रिया-सुखागत-प्राण। यह सखि ! प्रियतम-सुखकी खान॥