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वह / प्रभात त्रिपाठी

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उसकी डबडबाई आँखों में
खिलते हैं
कामना के फूल

वह आती है करीब
स्मृति के
रंध्र-रंध्र में रचती
गंध का आकार

लाती है साथ,
एक आत्मीय अँधेरा

समय
इस पृथ्वी पर लिखता है
एक काली लड़की का नाम।