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वह / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
वह
जिससे डर
जीवन-भर भागती रही
और वह,
जिसके लिए
यहाँ-वहाँ
पल्ला पसारती रही
एक सब जगह मिला
दूसरा,
कहीं नहीं