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वागाम्भृणी सूक्त, ऋग्वेद - 10 / 125 / 2 / कुमार मुकुल
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तन आउर मन के ठंडावे वोला
चंदा मामा के
हमहीं धारण करींला।
सूरूज देवता, वायु देवता आउर भग देवता के
हमहीं धारण करींला।
पाथर से पीस के
निकालल जाए वोला सोमरसो के
हमहीं धारण करींला।
यज्ञ के आयोजन करेवोला यजमानन के
हमहीं धन दिहींल॥2॥
अहं सोममाहनसं बिभर्म्यहं त्वष्टारमुत पूषणं भगम् ।
अहं दधामि द्रविणं हविष्मते सुप्राव्ये यजमानाय सुन्वते ॥2॥