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वाणी / अनिता भारती
Kavita Kosh से
सपनों की
बंद खिड़की
खुल गयी है आसमान में
अब
सीढ़ी बढकर खोल रही है
सूरज की बंद आँखें
मेरे दिल-दिमाग की
बंद मुट्ठियों में
उग आए हैं
सफेद कमल
और आँखे बुद्ध-सी शान्त
अधमुँदी हैं
तुम्हारी प्यार भरी
स्नेह भरी
ओजस्वी वाणी
मन का अंधेरा हर रही है