भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वादा / शार्दुला नोगजा
Kavita Kosh से
जो वादा तूने किया नहीं
मुझे उस पे क्यों कर यकीन था।
ये तेरे हुनर की हद थी या
मेरे जुनू का था वाकया।।