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वादे तो बस वादे हैं / गोपाल कृष्ण शर्मा 'मृदुल'
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वादे तो बस वादे हैं।
दीगर मगर इरादे हैं।।
साँसें तो हैं गिनती की,
दुनिया सिर पर लादे हैं।।
काली करतूतें तो क्या?
झक्क सफेद लबादे हैं।।
जनता के शासन में भी,
शाह और शहजादे हैं।।
रिश्ते-नाते, प्यार-वफा,
सबके अलग तगादे हैं।।
अब वो वाली बात कहाँ,
खत भी आते सादे हैं।।
कहने को आजाद हुए,
हम प्यादे थे, प्यादे हैं।।