भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वान्ना वगडा न वायरा वायरे, / गुजराती
Kavita Kosh से
वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घूमरियो घुम तो गायरे,
रासे रमे, रासे रमे,
गोप गोपियों नी संग,
जामयो वृन्दावन ने मार गड़े रंग,
वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे.
घेरी घेरी, घेरी घेरी,
एनी वागे मुरलियो,
गौरी गौरी राधा ने,
सुंदर श्यामडियो,
वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे.