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वापस आने के लिए / मनीष मूंदड़ा

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मैं सर झुका के निकल गया
पीछे मुड़ के देखने की हिम्मत नहीं थी
माँ के क़दमों की आहट आ रही थी
पर मैं मुड़ ना पाया
आँसुओं की घटायें आँखों से बस बरसने को थी
फिर माँ की आवाज आयी
आशीर्वाद है बेटा
जल्दी आना
मैं मुड़ा
आँखें मिलायी और शीश नवाया
फिर पलट के
चल पड़ा
मेरे सफ़र को
लम्बे सफ़र को
वापस आने के लिए
मेरे माँ बाबूजी से मिलने के लिए...