भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वार्ता:अंधेरे में / भाग 5 / गजानन माधव मुक्तिबोध

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पोस्ट की गयी कविता (अंधेरे में - मुक्तिबोध) में कुछ त्रुटियां हैं, जैसे भाग 5 की कुछ अंतिम पंक्तियां भाग 6 के आरंभ में डली हुई थी आदि, जिन्हें मैने अब ठीक कर दिया है, परंतु अभी और भी संशोधन की गुंजाइश है, अन्य पाठकगण भी कृप्या ध्यान दें ।