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वार्ता:बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे / राम दरश मिश्र
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मिला क्या न मुझको ए दुनिया त्तुम्हारी, मोह्ब्ब्त मिली, मगर धीरे-धीरे.
Is sher ke masra-e-sani mein koi shabad ki kami hai/ bahar theek nahin hai