भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वासंती झोंका / रवीन्द्रनाथ त्यागी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसने जूड़े में फूल खोंस लिये
फूले पलाश जैसा चांद
दहक उट्ठा
किसी दुर्घटना के कारण
सारे का सारा मौसम
खुशी में बदल गया सहसा