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वास्तव / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
‘‘मृत्यु —
जन्म है पुनः - पुनः
आत्म - तत्त्व का।’’
असत्य;
इस विचार को
कि सत्य मान लें ?
अंध मान्यता
तर्क हीन मान्यता !
प्राण / पंच - तत्त्व में विलीन,
अंत / एक सृष्टि का,
अंत / एक व्यक्ति का,
एक जीव का।
कहीं नहीं
यहाँ ... वहाँ।
सही यही
कि लय सदैव को।
न है नरक कहीं,
न स्वर्ग है कहीं,
यथार्थ लोक सत्य है।
मृत्यु सत्य है,
जन्म सत्य है।