भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वास्ता बहरों से मुद्दा असल / प्रेम भारद्वाज
Kavita Kosh से
वास्ता बहरों से है मुद्दा असल
कौन गाए गीत होती क्या ग़ज़ल
पेच तारें करंट गुम चोटें कई
गाँव यह इतना कहां था टक्निकल
क्या करेंगे वैद या हों दाइयाँ
केस ही हो चुका जब सर्जिकल
साथ जीवन मरण का जिनसे रहा
देखकर हैं भागते हमको डबल
पोत लेते वो पुरानी ओबरी
फिर बिछाते आँगनों में मारबल
प्रेम की कोई थियोरी है कहां
आप खुद ही कीजिएगा प्रक्टिकल