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विकट है यह... / केदारनाथ अग्रवाल
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विकट है यह सघन अंधकार का झुरमुट
कि मैं चला आऊंगा फिर भी
- तुम्हारी पुकार के बने पथ से
- तुमसे मिलने
- नदी से कह कर
- कि वह बहे, जहाँ बहती है
- दिये से कह कर
- कि वह जले जहाँ जलता है
- फूल से कह कर
- कि वह खिले, जहाँ खिलता है