भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विकलांग बच्चों के गीत / सूर्यकुमार पांडेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नयी राह पर चलने वाले,
खुली हवा में पलने वाले,
अच्छे बच्चे हम! हम हैं किससे कम!
बोलो, हम हैं किससे कम!

पाँव नहीं, लेकिन
अपने पैरों हम खड़े हुए,
हर मुश्किल आसान बनाकर
इतने बड़े हुए। आगे बढे क़दम।
हम हैं किससे कम
बोलो, हम हैं किससे कम!

हाथ नहीं, पर
हम लिख सकते एक नयी गाथा,
जिसके आगे बड़ों-बड़ों का
झुक जाए माथा। बाँहों में वह दम।
हम हैं किससे कम
बोलो, हम हैं किससे कम!

हमें कुरूप
समझने वालो, क्या यह नहीं पता,
मन की सुन्दरता होती है
सच्ची सुन्दरता। तोड़ें सभी भरम।
हम हैं किससे कम
बोलो, हम हैं किससे कम!