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विकल्प / उर्मिला शुक्ल
Kavita Kosh से
कितना गहरा है यह अंधेरा
कि सूझता नहींहाथ को हाथ ।
आच्छादित है इसमें
धरती और आकाश।
कहां गया सूरज?
क्यों अंधेरे से उसने
मिला लिया हाथ?
फिर तो ढूढऩा ही होगा
कोई विकल्प
जलाना ही होगा चिराग।
जो अंधेरे को भेदकर
बिखेरेगा रोशनी।
दोस्तों चिराग सूरज नहीं
विकल्प है सूरज का।