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विचार-1 / मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’
Kavita Kosh से
1.
कैन्होॅ संसार
जीवन-मरण के
मूल आधार।
2.
अजबे खेल
आदमी में नै मेल
खाली नै जेल।
3.
कैन्होॅ आदत
चोरी करै लेली रे
करै इबादतं
4.
अजबे सौदा
परमारथ कम
स्वारथ ज्यादा।
5.
ऊ छेकै चोर
जेकरा नै ममता
नै आँखी लोर।
6.
छै नी ऊ चालू
घाटोॅ के जौनें देखोॅ
बेचै छै बालू।
8.
की रंग मान
पैसा लैकेॅ के नाय
दै छै सम्मान।
9.
छेकै ई फर्ज
आपसी लेन-देन
समझोॅ कर्ज।
10.
करोॅ नै भूल
आपसी लेन-देन
करोॅ वसूल।
11.
अजबे योग
भ्रष्टंे करै छै रोज
माखन भोग।
12.
होतै ऊ चंगा
बेचिये केॅ जे रोजे
खैतै तिरंगा।