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विजय-विश्वास / महेन्द्र भटनागर

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लड़ाई हमारी

अधूरी रहेगी नहीं,
बीच में ही
रुकेगी नहीं
जो
मेहनतकश सबल साहसिक शूर है
नाम: ‘मज़दूर’ है

उसकी लड़ाई
अन्तिम विजय तक
थमेगी नहीं !
और होगी कड़ी
और होगी बड़ी,
संसार में
फैलती जायगी यह
लगातार !
बर्बर दमन से
कभी ख़त्म होगी नहीं,
कमज़ोर धीमी
पड़ेगी नहीं !

आश्वस्त हम —
यह युद्ध
शोषण-विरुद्ध,
अवरुद्ध होगा नहीं !

हर रुकावट
मिटाकर,
लड़ाई हमारी
सतत
भय-मुक्त
जारी रहेगी !
रुकेगी नहीं !