भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विडम्बना-1 / विनोद शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आजकल अंकल सैम
आतंकवाद से लड़ने में
रहते हैं व्यस्त।

उधर, उनके
लड़ने के अंदाज से
युद्धोन्माद से-
दुनियाभर में फैले
गोरी, काली, भूरी और पीली
नस्लों के उनके तमाम भतीजे
हैं बेहद त्रस्त।