भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बनी झाझा भाई ने भेले रमतेली वो।
बनी पीपल छांया मा रमतेली वो।
बनी झाझी वयण भेले रमतेली वो।
बनी झाझी भोजाई ने भेले रमतेली वो।
बनी झाझी फुई ने भेले रमतेली वो।
- वर पक्ष की ओर से दुल्हन को कहा जाता है कि- यह पीपल का वृक्ष बहुत पुराना है। इस पीपल की ठंडी छाया में बहुत से भाई, भौजाई, बुआ, बहन के साथ खेलती थीं।