भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विदाई / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मम्मी-पापा
कितने अच्छे,
मुझको यह,
दुनिया दिखलाई,
ऐसे कई हैं
मम्मी-पापा
कोख से ही
कर देते विदाई।