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विदागीत / प्रेमरंजन अनिमेष
Kavita Kosh से
आग-सी लह लह
माटी-सी मह मह
जाओ
लाली-सी टह टह
चिड़ियों-सी चह चह
हवा-सी
बह जाओ
अब यह भी तो होगा स्वार्थ
कहें अगर
कुछ दिन और रह जाओ
जाओ माँ
जाने से पहले लेकिन
अपनी पूरी कथा कह जाओ !