भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विदा होता चैत्र / संतोष श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

विदा होते चैत्र की शाम
झरे पत्तों की उदास
सिंफनी बजती है
तुम्हारी यादों के संग
तनहाई
रूह में उतरती है

मन के उदास कोनों में
जाते चैत्र का यह दृश्य
ठहरा रहेगा ताउम्र

ऐसे ही याद आता रहेगा
किसी सूने रास्ते पर
तुम्हारा आँख से ओझल
हो जाना

और क्षितिज तक
सब कुछ खोती शाम का!
ठहर जाना