भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विदा / बद्रीनारायण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहचान में नहीं आ रहा था कि
दोनों में से कौन किसकों विदा करने आया है
दोनों अत्यंत आकर्षक थे
अत्यंत आधुनिक
पर एक बात प्राचीन थी
कि दोनों रो रहे थे