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विदा / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
ये मधुर, सुहाने, सुंदर दिन
क्यूं इतनी जल्दी बीत गए।
तुम जाओगी अब गांव नए,
और गाओगी फिर गीत नए।
आंखों के छलके मधु प्याले,
क्यूं इतनी जल्दी रीत गए।