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विद्यापतिक प्रभाव आ मिथिलाक नारी / राजकमल चौधरी
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गाम त्यागि चल गेलाह बोलट झा बृन्दावन
गाबिक’ नचारी
विपरीत रति विकलांग वर्णन सुनि वृद्ध
पाठकजी कयलनि बियाहक तैयारी
भगवतीक स्तुति पढ़ि हीरानन्द ठाकुर
शक्ति-धाहसँ बनलाह कुविचारी
मुदा,
सौंसे विद्यापति हजार बेर आङन ओसारमे
पर्वमे, तिहारमे
बियाहक इजोतमे, कोहबरक अन्हारमे
गाबि-गाबि
जहिना छलीह तहिना छथि
मिथिलाक नारी!
(मिथिला मिहिर: 29.11.64)