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विद्या ददाति / प्रमोद कुमार

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अपना ध्यान पल भर भी बँटने न दो

अगल-बगल बिल्कुल न देखो
अँधे बन जाओ,

कोई पुकारे
बहरे हो जाओ,

किसी की सहायता में न दौड़ो
लँगड़े हो जाओ,
भूल जाओ हाथ बँटाना
लूले हो जाओ,

देखना, सुनना, साथ देना
बाधक हैं आज की पढ़ाई में,

भविष्य की दुनिया के निर्माता प्यारे बच्चों !
आगे बढ़ने के एक मात्र लक्ष्य पर
अडिग रहो,
आज की प्रतियोगिता में
अँधापन, गूँगापन भी शामिल हैं ।