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विधवा विवाह कार्यक्रम / लालचन्द राही

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सरकारी काम है जाना पड़ेगा
बताने को झाड़ू-पोंछा लगाना पड़ेगा
तेरे जैसी कोई दूसरी नहीं है
नहीं तो उसे ही पहुँचा देते
हरामज़ादी रात भर ऐश करेगी
नहीं तो कल भूखों मरेगी
विधवा आश्रम को क्या देती है सरकार
यह तो भला है तहसीलदार
जो सेवा का मौक़ा देता है
विधवाओं से काम लेता है
नहीं तो क्या रखा है तेरे धरम में
ऐश करना कहाँ है तेरे करम में
करम कर करमजली
भूखे को भली है सड़ी-गली
तू दूसरे की भूख मिटाएगी तो
ख़ुद भी तृप्त हो जाएगी
आश्रम का अनुदान बढ़ जाएगा
नहीं तो विधवा को कौन गले लगाएगा?
जल्दी कर गेट पर कार खड़ी है
वापस छोड़ जाएगी
रात भर में ठकुराइन बन जाएगी
बेचारी मान्यताओं की मारी
अधीक्षिका की मार से बचने के लिए
कुछ ही देर में
विश्राम-गृह पहुँच जाती है
जहाँ पर नेता जी ठहरे हैं
कल के विधवा विवाह कार्यक्रम के
मुख्य अतिथि हैं।