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विभाजित मन / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
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कोई ग़लतफहमी जब
नहीं रहा करती है
अपने ही बारे में
तब कैसा लगता है
जान गया!
दे देना मृत्यु-रूप दण्ड सभी
मित्र मुझे
देना तुम नहीं-
दया!
सम्भवतः खो जाऊँ
जीवन से दूर कहीं
काल की गुहाओं में
संभवतः सिर्फ निखर जाऊँ मैं
हो करके और नया!