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विराम / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
कर चुकी ज़िन्दगी
दूरियाँ तय !
चीखती / हाँफ़ती
ज़िन्दगी कर चुकी
अनगिनत
ऊध्र्व ऊँचाइयाँ
ग़ार गहराइयाँ तय !
थम गया
भोर का / शाम का
गूँजता शोर,
गत उम्र की राह पर
थम गया !
आह बन
शून्य में हो गया लय !
कर चुकी ज़िन्दगी
मंज़िलें तय !