भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विरासत / सौरभ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अंग्रेज तो चले गए
विरासत छोड़ गए
बाँटो और राज करो मन्त्र था उनका
अब नेता अंग्रेज हो गए हैं
सत्ता वही सिद्धान्त वही
बस चेहरे बदले हैं
भेड़िया भेड़ की खाल ओढ़
घूमता है रेवड़ में
भेड़ें तो वही रहीं
चरागाहें भी नहीं बदली
बदला तो बस भेड़िया
जो भेड़ बन तख्त पर चढ़ बैठा
मूल नहीं बदला सत्ताधारियों का
तरीके बदले हैं
भेड़ें तब भी छली गईं
आज भी छली जा रहीं
कत्ल का जज्बा वही रहा
कातिल बदल गए।