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विरोधाभास / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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मेरी आशा
नहीं देती किसी को
झूठा दिलासा
इसलिए निराश है!

मेरी भाषा
बहुत ज़्यादा
आमफहम है
इसलिए खास है!

मेरी तृप्ति
पहचानती है
दूसरों के सूखे होंठ
इसलिए प्यास है!

मेरी खुशी
सिर्फ मेरी नहीं है
समय के प्रति प्रतिबद्ध है
इसलिए उदास है!