प्रतीक्षा में 
बोए हैं स्वप्न-बीज 
सेमल की रेशमी चमक को 
मुट्ठी में समेटा है 
विरोधी हवाओं के बीच 
प्रतीक्षा में 
आत्मा के आँसुओं ने 
धोई है मन-चौखट 
और अभिलाषाओं की 
बनाई है अल्पना 
धड़कनों ने 
प्रतीक्षा की लय में 
गाए हैं बिलकुल नए गीत 
प्रतीक्षा में 
सो जाता है पूरा अतीत 
भीतर-ही-भीतर 
जाग उठा है भविष्य 
मन ऋतु के साथ 
जुगलबंदी करते हुए 
प्रतीक्षा में 
कोमल उजास की होती हैं 
मौन आहटें 
कुछ करीब होने के 
पाँवों की परछाईं 
और हथेली की गुहारती पुकार 
आँखों के आले में 
समाने लगता है प्यार का उजाला 
कि पूरा एक सूर्य-लोक 
दमक उठता है 
भीतर-ही-भीतर 
प्रतीक्षा के 
कसकते सन्नाटे में 
कौंधती है आगमन अनुगूँज 
शून्यता में तैर आती है 
पिघली हुई तरल आत्मीयता 
कि घुलने लगता है 
स्मृतियों का संगीत 
स्पर्श की परछाईं 
आँखों में, साँसों में 
पसीज आई हथेली में 
प्रतीक्षा में 
अबाबील चिड़िया की तरह 
लटके हुए 'विरुद्ध घोंसले' के 
समय में रखती हूँ स्वप्न-चूजे 
कुहनी भर 
जगह पर 
शहतीर की तरह 
टिकी हुई आँखें 
बेधती हैं समय।