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विरोध / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
मेरा मन
ढूंढता है
तुम्हें शून्य में
बड़ी व्याकुलता से
लेकिन तुम हो कि
मुझसे जब भी
मिलते हो
ढूंढते रहते हो
मुझमें एक आधार।