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विलाप / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
एक स्त्री होने का अर्थ
रौंदा जाना है, ओ माँ !
उन्होंने सब कुछ छीन लिया मुझसे
एक स्त्री ने मेरा बचपन लिया
एक पुरुष ने मेरा स्त्रीत्व ....
ईश्वर को स्त्री की रचना नहीं करनी चाहिए
ईश्वर को जन्म देना नहीं आता
यहाँ, सभी पुरुषों की पसलियाँ
टूटी हुई हैं
हमारी ग्रीवाएँ बाल से भी ज्यादा पतली हैं
पुरुष उठाए हुए हैं हमें
अपने कन्धों पर ताबूत की तरह
हम उनके पैरों के नीचे रहे
किसी पँख की तरह
हम उड़े एक दुनियां से
एक आदम की तरफ
और मेरे शब्द, ओ माँ !
उनके पदचिह्न हैं .....