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विवशता / अभिमन्यु अनत
Kavita Kosh से
तुम्हारी दर्दनाक चीख सुनकर
मैं जान तो गया कि सरकस का शेर
दीवार फाँदकर
पहुँच गया तुम्हारे घर के भीतर
अपने बगीचे के फलों को
मेरे बच्चों से बचाने के लिए
तुमने खड़ी कर दी है जो ऊँची दीवार
उसे मैं नहीं कर पा रहा पार
तुम्हें शेर से बचा पाने
मैं नहीं पहुँच पा रहा ।