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विवशता / महेश उपाध्याय
Kavita Kosh से
भागते दरख़्तों की तरह
मैंने
अपनी शैक्षिक यात्रा में
छोड़ दिया था
दसवीं कक्षा से हिसाब
मगज़पच्ची से
बचने के लिए
लेकिन अब ...।
हर औरत : एक जटिल भिन्न
हर आदमी : प्रश्नसूचक चिन्ह
दुनिया : हिसाब की क़िताब
इतने सारे सवालों को
छोड़कर कहाँ जाऊँ ?