हम क्या करें
हमारे वश में क्या है?
कर पाते हम नहीं हृदय से
किसी मित्र से
स्नेहभरा अनुरोध
ऐसा हावी हुआ
हमारे तन-मन पर युगबोध
इसमें पीड़ा कैसी भाई
यह भी तो सुविधा है!
किस बूते पर चलें
क़दम फिसलें तो
ठौर नहीं
लेकिन इसका उत्तरदायी
कोई और नहीं
चोर-डाकुओं की नगरी में
सावधान होकर चलना भी
सचमुच एक कला है।
हम क्या करें
हमारे वश में क्या है?