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विवाह गीत / 13 / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लाड़ि तुखे गुबर हेड़ाउं वो, पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे पाणी भराउं वो, पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे रूटा कराउं वो पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे घटी दलाउं वो, पिपर्यापाणी मा।
निहिं दले ते लाते उरी ने, लाते परी कराउं वो, पिपर्यापाणी मा।
डालि तुखे फाटा विछाडु वो, पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे कांटा विछाड़ु वो, मुहड़ा वाला खेत मा।
लाड़ि तुखे दगड़ा विछाडु़ वो, टेमरा वाला खेत मा।

- दुल्हन को गीत में कहा है कि तुझसे ढोरों का गोबर फिकवायेंगे, पिपर्या पानी गाँव में। इसी प्राकर पानी भरवायेंगे, रोटी करवायेंगे, घट्टी चलवायेंगे, नहीं पीसेगी तो लात से इधर और उधर करवायेंगे। तुझसे कचरा खेत में चुनवायेंगे, महुए वाले खेत में काँटा चुनवायेंगे। टेमरू वाले खेत में पत्थर बिनवायेंगे।