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विवाह गीत / 7 / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

झेला मोलवो वो बेनी, झेला पेहरो।
झेला पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।

हार मालवो वो बेनी, हार पेहरो।
हार पर सुब रंग्यो छिब्रो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।

बाष्ट्या मोलवो वो बेनी, बाष्ट्या पेहरो।
बाष्ट्या पर बुब रंगि भात वो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।

करूंदी मोलवो वो बेनी, करूंदी पेहरो।
करूंदि पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।

- महिलाएँ गीत में दुल्हन से कहती हैं कि झेला खरीदो और पहनो। झेला में सभी रंग के फूल हैं, तुम्हें झेला पहने हुए सभी लोग देखेंगे। हार में सभी रंग के फूलों वाले छल्ले लगे हैं, पहनोगी तो दुनिया देखेगी। बाष्ट्या पर सभी रंग की डिजाइन बनी हुई हैं, पहनोगी तो दुनिया देखेगी। अन्त में करूँदी खरीदकर पहनने को कहती हैं। करूँदी पर सभी रंग के फूल बने हुए हैं, हनो। दुनिया देखेगी कि दुल्हन ने कितने अच्छे गहने
पहन रखे हैं।