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विवाह पूर्व बेटी का वर विचार / पँवारी
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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चौका बठी बारी दुल्हिन ओ
बाबुल से अरज करे।
अच्छा घर दे जो बाबुल जी
चान्दी-सोन्ना हम पहिन्हे।।
बाबुल-
बेटी लिल्लोड़ी घोड़ी पलानी
सोन्ना-चाँदी हमऽ लेनऽ चल्या
बाटऽ मऽ मिल गया साहिबन रे
साजन तुम कहाँ रे चल्या।
बाबुल-
हम घरऽ कन्या कुँआरी
हम सोन्ना-चाँदी लेनऽ चल्या।
वर पक्ष के जवाब -
फिर जाओ साजन, फिर जाओ
सोन्ना-चाँदी हम लाहीं।
तुम हमखऽ सिरप बेटी देनू
हम तुम्ह खऽ सोन्ना-चाँदी दीहीं
फिर जाओ साजन, फिर जाओ
सोना चाँदी हमऽ दीहीं।