• गृह
  • बेतरतीब
  • ध्यानसूची
  • सेटिंग्स
  • लॉग इन करें
  • कविता कोश के बारे में
  • अस्वीकरण

पृष्ठ इतिहास

अपने दिल-ए-मुज़्तर को बेताब ही रहने दो / ज़फ़र हमीदी

21 अक्टूबर 2013

  • सशुल्क योगदानकर्ता ३

    '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़फ़र हमीदी }} {{KKCatGhazal}} <poem> अपने दिल-ए-...' के साथ नया पन्ना बनाया

    08:46

    +2,074

  • Kavita Kosh

    • मोबाइल‌
    • डेस्कटॉप
  • गोपनीयता